मानव को पहचानना है तो उसके संपूर्णता को पहचानो - डा. महेश चन्द्र शर्मा 
- एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान उत्तर प्रदेश ने आयोजित किया ई- कार्यकर्ता प्रशिक्षण
(पावन भारत टाइम संवाद)
लखनऊ। एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान उत्तर प्रदेश का ऑनलाइन कार्यकर्ता प्रशिक्षण में शुक्रवार को " एकात्म मानव दर्शन की शाश्वत व्याख्या" विषय पर कार्यकर्ताओंको संबोधित करते हुए प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा सांसद डा. महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि धर्म बनाम समाज, धर्म बनाम आइडियोलॉजी, गॉड नही इंसान, अध्यात्म नही भौतिकता, समाज कृत्रिम है, मानवता इंडिविसुवल है की बहस पश्चिम में शुरू हुई।राज्य व्यक्ति की आज़ादी में आने वाली बाधाओं की बाधा है।इसमें व्यक्ति वाद निकल कर आया, यह पोप शाही और सामंत शाही से भी अधिक खतरनाक सिद्ध हुआ।
उन्होंने बेबिनार को संबोधत करते हुए कहा कि डार्विन ने विकासवाद के सिद्धांत को समाजशास्त्र से जोड़ा। उसी समय पश्चिम में उद्योग क्रांति हुई कार्लमार्क्स ने कहा गलती हो गयी "मानव व्यक्ति नही समाज" है। व्यक्तिवाद का झण्डा-अमेरिका, समाजवाद का झंडा-रूस लेकर चलता रहा । इसी दौरान अपना भारत आज़ाद हुआ एक धारा भारतीय परक जिसमे स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती जिसने राजनीति में रूपांतरित विचार के रूप में श्रीअरविंद, लोक मान्य तिलक जी, गांधी जी आदि। दूसरी धारा-एन आई सी दादा भाई नौरोजी के रूप मरण हमें अंग्रेजी साम्राज्य नही अंग्रेजी राज्य चाहिये । बाद में दोनो धाराएं गांधी जी व नेहरू जी के रूप में मिल गयी।
डॉ शर्मा ने बताया कि समय में एकात्म मानववाद के दृष्टा पं दीनदयाल उपाध्याय ने कहा कि पश्चिम का जो विचार है वह पिछले 300 साल की बहस का उपज है, जिसमे कोई भी भारतीय सम्मिलित नही था | यह विचार पश्चिम की परिस्थितियों की उपज है| भारत मे वैसी परिस्थिति तो नही है। पूर्व के देशों में भारत का एक अलग सम्मान है तिब्बत भारत को गुरु मानता है, चीन में कहावत है कि "जो पुण्य कर्म करता है उसे भारत मे जन्म मिलता है। अरब के व्यक्ति कहता है कि मुझे हिन्द से ठंडी हवा का आभास होता है। उत्तर का कोलम्बस भारत को खोजना चाहता है जो सोने की चिड़िया है। भारत के लोग कहते है "अहम ब्रम्हास्मि" -ब्रह्मा मतलब विराट, विराट मतलब समग्र हैै। भारत कहता है कि मानव को पहचानना है तो उसके संपूर्णता को पहचानो, व्यक्ति अर्थात व्यक्त करने वाला, व्यक्ति बनाम समाज नही है, बल्कि व्यक्ति और समाज का एकात्मरूप है|।एकात्म अर्थात जिस इकाई को बांटा न जा सके।
प्रशिक्षण अभियान के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए प्रतिष्ठान के सह संयोजक ई. रवि तिवारी ने कहा कि आज सम्पूर्ण मानवता जी संकट के मुहाने पर खड़ी है। ऐसे कालखंड में मानवीय संवेदनाओं से युक्त एकात्मता के विराट स्वरूप को संजोये असंख्य कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। एकात्म मानव प्रतिष्ठान निरन्तर ऐसे कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया में निरत है।वर्तमान लाकडाउन के समय में उत्तर प्रदेश के चयनित कार्यकर्ताओं का छह दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का ऑनलाइन आयोजन किया गया है। जिसका आज तीसरा दिवस का सत्र संपन्न हुआ।
आज के सत्र में प्रतिष्ठान के प्रदेश संयोजक त्र्यंबक तिवारी (लखनऊ) ने प्रस्तावना रखी एवं प्रदेश समिति के सदस्य स्वामी धीरेन्द्र पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त किया ।प्रतिष्ठान के सह संयोजक प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा मेरठ, काशी के क्षेत्रीय संयोजक बाक कृष्ण पाण्डेय, प्रशिक्षण प्रभारी डॉ उपेंद्र देव, कानपुर के संयोजक प्रवीण पाण्डेय, ब्रज के संयोजक अमितेश अमित, पश्चिम क्षेत्र के प्रभारी योगेंद्र शर्मा, डॉक्टर शिवा त्रिपाठी, डॉ मंजू बघेल, डॉक्टर स्वाति गर्ग, पत्रकार मनोज सिंह, पवन पाण्डेय, लखीमपुर के ज्योतिर्मय बरतरिया, मोहित मिश्र, डॉ अजय कुमार मिश्र, डॉ प्रबुद्ध त्रिपाठी, डॉ राम दरस मिश्र, डॉक्टर अरुण कांत, प्रियन्क आर्या, राजीव पाठक, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के अयोध्या के क्षेत्रीय निदेशक डॉ शशि भूषणराम त्रिपाठी, डॉ गोविन्द नारायण श्रीवास्तव, रमेश त्रिपाठी, सुशील शुक्ला, रितेश जायसवाल, रोहित सिंह राठौर, राहुल सिंह, राजीव मणि त्रिपाठी सहित पूरे प्रदेश के विभिन्न जनपदों से लगभग सौ कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।