सहायक अभिलेख अधिकारी रामशंकर के आवास पर महीनों खड़ी फार्च्यूनर उनके गले की बनी हड्डी

सहायक अभिलेख अधिकारी रामशंकर के आवास पर महीनों खड़ी फार्च्यूनर उनके गले की बनी हड्डी 



- रिश्वत में फॉर्चूनर गाड़ी लेने का हैं आरोप


- जिलाधिकारी ने जांच का आदेश कर कोतवाली भेजी गाड़ी


(पावन भारत टाइम्स संवाद)


अयोध्या| जहाँ एक तरफ योगी जी प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में लगे  हैं वही पर  जिले में राजस्व में तैनात सहायक अभिलेख अधिकारी रामशंकर का रिश्वत में फॉर्चूनर लेने का प्रकरण चर्चा में है। विगत दिनों न्यूज पेपर और चैनल पर भी चर्चा में यह मामला रहा है।


मिली जानकारी के अनुसार थाना कोतवाली नगर क्षेत्र के सुरसरी अधिकारी कालोनी में सहायक अभिलेख अधिकारी रामशंकर के सरकारी आवास पर खड़ी गाडी की सूचना जिलाधिकारी को मिलने पर गाडी को कोतवाली भेजवा दिया। जिलाधिकारी अनुज झा ने मामले को संज्ञान में में लेकर तत्काा कार्रवाई किया।।इस प्रकरण की जांच जिलाधिकारी ने मुख्या विकास अधिकारी प्रथमेश कुमार को सौंप तो सी डी ओ शु यी है की गंभीरता को लेकर तत्काल कारवाही शुरू किया।



सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामले में प्रथम दृष्ट्या जांच में सामने आया की यह गाडी रामशंकर के आवास पर होली से ही खड़ी थी। एआरओ रामशंकर के खिलाफ पूर्व में भी शिकायतों के चलते जिलाधिकारी ने इन्हे इनके पद से हटा चुके है। एआरओ  पर पहले भी अभलेखो में गड़बड़ियों का आरोप लग चुका  है।


एआरओ रामशंकर जब बातचीत हुई तो उन्होंने इन आरोपों से इंकार किया और कहा कि  यह गाडी उन्होंने होली में अपने गृह जनपद उन्नाव  जाने के लिए रवि बंसल से मंगवाई थी । यह गाडी अखिलेश दुबे के नाम पर है । भूमि विवाद से सम्बंधित जिस मामले में अभिलेखों की गड़बड़ियों का इन पर आरोप लगा है । उसकी जांच सीआरओ  पुरुषोत्तम दास कर रहे है। वे सभी मीरपुर द्वाबा से सम्बन्धित  है ।



 


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चार वर्ष पूर्व इन्ही लोगो ने विवादित भूमि खरीद कर एआरओ  रामशंकर के समय में अपने पक्ष में दाखिल खारिज कराया था । इस गाडी की जांच प्रकरण में मंगलवार को एआरओ  समेत चार लोगो के बयानों की विडिओग्राफी हुई है। इनमे  रवि बंसल, अखिलेश दुबे व  अरविन्द मौर्या शामिल रहे । इन पर ही एआरओ  को यह गाडी गिफ्ट करने का आरोप है।


बता दें की रामशंकर और रवि बंसल के काफी दोस्ताना संबंध रहे हैं । जिसके चलते भूमि विवाद में न्यायालय के निर्णय आने से पहले ही योगी की महत्वाकांक्षी योजना राममूर्ति के गजट में इनका नाम डलवा दिया गया था ।