‘बालसंस्कार सत्संग’ तथा हिन्दू धर्म की महानता बतानेवाली ‘धर्मसंवाद’ माला
लॉकडाउन की अवधि में नैतिकता की शिक्षा देनेवाला
वाराणसी।संचारबंदी की अवधि में लगातार घर में रहने से अनेक लोगों को तनाव, निराशा आदि मानसिक विकार हो रहे हैं । लोग घर से बाहर न निकलें, इसके लिए शासन ने भी दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत धारावाहिक दिखाना आरंभ किया है । सनातन संस्था के संस्थापक तथा अंतरराष्ट्रीय ख्याति के सम्मोहन उपचार विशेषज्ञ परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने ‘तनावमुक्ति तथा आनंदमय जीवन के लिए अध्यात्म’ विषय पर अनेक वर्ष तक गहन अध्ययन और शोध किया है । उस शोध पर आधारित विषय लेकर सनातन संस्था की ओर से ‘यू-ट्यूब’ और ‘फेसबुक’ पर बच्चों के लिए ‘बालसंस्कार’ तथा बडों के लिए ‘धर्मसंवाद’ नामक हिन्दी भाषा में ऑनलाइन सत्संग शृंखला आरंभ की गई है । इसमें अब तक 50 से अधिक भाग प्रसारित हो चुके हैं, जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा है । बालसंस्कार शृंखला के 3 भाग देखने पर ही बच्चों में सकारात्मक परिवर्तन होने की बात अनेक अभिभावकों ने बताई है । इसलिए संचारबंदी (‘लॉकडाउन’) काल में घर-बैठे इस ‘ऑनलाइन सत्संग शृंखला’ से लाभ लें और अपना जीवन आनंदमय बनाएं, यह आवाहन सनातन संस्था करती है ।
बालसंस्कार शृंखला में ‘ईश्वर समान माता-पिता की सेवा का महत्त्व !’, ‘प्रतिदिन छोटी-छोटी बातें आचरण में लाकर संस्कारी बनें !’, ‘विदेशी नहीं, भारतीय खेल खेलकर देशाभिमान बढाएं !’, ‘हैरी पॉटर, टार्जन जैसी काल्पनिक कथाएं नहीं, संस्कारित करनेवाली आदर्श पुस्तकें पढें !’, ‘अपनी मातृभाषा का अभिमान करें !’, ‘स्वच्छता रखें, अपना आचरण आदर्श बनाएं !’, ‘नैतिकता बढाएं, सदैव सत्य बोलें !’ आदि विषय देखने से बच्चों पर अच्छे संस्कार होते हैं । आगे चलकर यही संस्कारित बच्चे भारत के आदर्श नागरिक बनेंगे ।
‘धर्मसंवाद’ माला में हिन्दू धर्म के विषय में समाज में फैली अनेक भ्रांतियां दूर कर, धर्म की महत्ता बतानेवाले विषय, उदाहरणार्थ ‘वैश्विक संकट क्यों आते हैं ?’ ‘कोरोना जैसी महामारी में तनावमुक्ति के लिए क्या करें ?’ ‘दैनिक जीवन में आनेवाली विविध समस्यों का निवारण कैसे करें ?’ ‘क्या प्रभु श्रीराम सचमुच मांसाहारी थे ?’ ‘भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने में अध्यात्म का योगदान !’ आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है । इस प्रकार, इस माला में अनेक विषयों के उत्तर देकर उनपर परिचर्चा की गई है ।
हिन्दी भाषा की इस ‘ऑनलाइन सत्संग शृंखला’ के अंतर्गत ‘नामजप सत्संग’ सवेरे 10.30 से 11.15 तथा इसका पुनः प्रसारण दोपहर 4 से 4.45; ‘बालसंस्कारवर्ग’ सवेरे 11.15 से 12; ‘भावसत्संग’ दोपहर 2.30 से 3.15 और ‘धर्मसंवाद’ रात्रि 8.00 से 8.45 और उसका पुनः प्रसारण दूसरे दिन दोपहर 1 से 1.45 बजे होता है ।
‘ऑनलाइन सत्संग शृंखला’ Youtube.com/SanatanSanstha1 और Facebook.com/Sanatan.org पर सीधा प्रसारण देख सकते हैं । इसके पश्चात, उपर्युक्त ऑनलाइन सत्संग शृंखला ‘यू ट्यूब’पर भी देख सकते हैं ।
*‘बालसंस्कार’ शृंखला का पथ : bit.ly/353XY9i*
*‘धर्मसंवाद‘ शृंखला का पथ : bit.ly/3aKwkQ0* (इसके कुछ अक्षर कैपिटल हैं ।)
*सरकारी आदेश का पालन यह कालानुसार धर्मपालन ही है !*
- *सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति*
धर्मशास्त्रों ने संकटकाल में व्यक्ति को आपद्धर्म भी बताया है । जाडे के दिनों मे हम ऊनी वस्त्र पहनते हैं और गर्मी के दिनों में हम सूती वस्त्र पहनते हैं । उसी प्रकार से काल के अनुसार धर्म के आचरण में समय समय पर परिवर्तन होता है । संक्षेप में, काल के अनुसार वर्तन करना आवश्यकता भी है और व्यावहारिकता भी । आज सरकारद्वारा यातायात बंदी, सोशल डिस्टेन्सींग, मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है, तो हमारा भी काल के अनुसार आचरण होना अपेक्षित है, ऐसा वक्तव्य हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक, सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने मार्गदर्शन किया । वे दिनांक 25 एवं 27 अप्रैल 2020 को सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वर्तमान एवं संभावित संकटकाल, सुरक्षात्मक उपाय इस ऑनलाईन कार्यक्रम बोल रहे थे ।
इस कार्यक्रम में कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न इस संकट काल में समाज में बढ रहे मानसिक तनाव को कैसे मात दें, सरकारी आदेशों का पालन कर समाज की सहायता कैसे करें ? वर्तमान एवं संभावित संकटकाल के लिए अभी से ही कौन सी तैयारियां कर सकते हैं, इसके विषय में भी सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने बताया । इस चर्चासत्र को 33300 से भी अधिक लोगों ने देखा तथा लगभग 62000 से अधिक लोगों तक यह विषय पहुंचा । चर्चासत्र के अंत में जिज्ञासुओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के भी उत्तर दिए गए ।