(पावन भारत टाइम्स संवाद)
प्रयागराज । गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पावन संगम स्थल पर चलने वाला माघ मेला प्रारंभ हो चुका है। जिसका प्रथम स्नान पर्व पूर्णिमा भी बीत गया है। मेला क्षेत्र में कल्पवासी एवं साधु संतों का डेरा जमना शुरू हो गया है ।किंतु प्रशासनिक व्यवस्था के नाम पर अब तक बहुत सारी खामियां रह गई है। व्यवस्थाओं में साधु संतों एवं कल्पवासियों को जमीन तो वितरित कर दिया गया है, किंतु उन्हें समतलीकरण नहीं किया गया, कहीं-कहीं आवंटित भूमि कीचड़ एवं पानी भी देखने को मिलता है। भारत सरकार के स्वच्छता मिशन से प्रेरित कल्पवासी शौचालय एवं जल कल के लिए प्रयासरत हैं, किंतु प्रशासनिक उदासीनता के चलते उन्हें यह व्यवस्था न के बराबर दी जा रही है। जिसका लाभ मेला प्राधिकरण के ठेकेदारों द्वारा जनता का धन दोहन कर लिया जा रहा है ।मेला क्षेत्र में एक शौचालय के निर्माण के लिए ठेकेदार कर्मियों द्वारा ₹3000 तथा एक नल के लिए ₹2000 धड़ल्ले से लेकर निर्माण एवं कनेक्शन दिया जा रहा है ।जनमानस जहां योगी सरकार में कुंभ मेले की व्यवस्था को सराहते फिर रहा है वही इस बार मेले के प्रबंध को लेकर दुखी एवं त्रस्त है तथा योगी सरकार को कोसते देखी जा रही है ।ज्ञात हो कि इस बार शौचालय निर्माण एवं नल लगाने का जिम्मा मेला प्राधिकरण को दे दिया गया है, जो अपने चहेते ठेकेदारों द्वारा इसे संपन्न कराती है और यह ठेकेदार मनमाना कर मलाई काट रहे हैं। पूर्व में यह व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग एवं जल निगम के द्वारा व्यवस्थित ढंग से संचालित होता रहा है किंतु पूर्व के व्यवस्था को समाप्त कर मानो सरकार ने कल्प वासियों एवं साधु-संतों को घोर दूर्व्यवस्थाओं में झोंक दिया है ।एक भ्रमण के दौरान बातचीत में वहां के कल्प वासियों एवं साधु-संतों ने मेला प्राधिकरण से मेले में बसे लोगों के आवश्यकताओं का सर्वे कराकर उन्हें उपयुक्त साधन प्रसाधन निष्पक्ष ढंग से प्रदान करने की मांग की है। कल्प वासियों का आरोप है कि मेला प्रभारी भी प्राय: ऑफिस में नहीं बैठते ,न ही कभी क्षेत्र में भ्रमण कर जनसमस्याओं को सुन, उसका निदान करते हैं।